स्मृति ईरानी की प्रेरणादायक कहानी: टीवी की तुलसी से राजनीति की शेरनी तक
स्मृति ईरानी – एक ऐसा नाम जो कभी घर-घर में 'तुलसी' के रूप में जाना जाता था, आज भारतीय राजनीति की एक दमदार चेहरा बन चुका है। ये कहानी है संघर्ष, आत्मविश्वास और नारी शक्ति की, जो लाखों लोगों को प्रेरणा देती है।
टीवी से पहचान, राजनीति में कमान
23 मार्च 1976 को दिल्ली में जन्मी स्मृति ईरानी का शुरुआती जीवन आसान नहीं था। उन्होंने मैक्डोनाल्ड्स जैसी जगहों पर काम किया और कई बार रिजेक्शन का सामना किया। लेकिन 2000 में 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में तुलसी विरानी का किरदार निभाकर उन्होंने पूरे देश में अपनी पहचान बनाई।
2003 में स्मृति ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की। कई लोगों ने उन्हें सिर्फ एक सेलिब्रिटी माना, लेकिन जल्द ही उन्होंने ये साबित कर दिया कि वो सिर्फ एक चेहरा नहीं, बल्कि एक मजबूत सोच वाली नेता हैं।
राजनीति में ऐतिहासिक जीत
2014 में उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2019 में उन्होंने अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराकर बड़ा राजनीतिक झटका दिया। यह जीत उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और जनता के साथ उनके जुड़ाव का प्रमाण है।

हर भूमिका में सशक्त
स्मृति ईरानी ने महिला और बाल विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय जैसे कई अहम विभागों में जिम्मेदारी निभाई है। उनकी संसद में दी गई जोरदार और तथ्य आधारित भाषणों ने उन्हें एक बेबाक और तेजतर्रार नेता के रूप में स्थापित किया है।
अब क्यों हो रही हैं ट्रेंड में?
स्मृति ईरानी फिलहाल एक दमदार भाषण को लेकर सुर्खियों में हैं, जिसमें उन्होंने कई संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बात की। इसके साथ ही, कैबिनेट में संभावित बदलावों के कारण भी उनके नाम की चर्चा जोरों पर है। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनल तक, हर जगह उनकी चर्चा हो रही है।
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